कृषि संस्थानों के लिए सोशल मीडिया: राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद का एक केस स्टडी

 

कृषि संस्थानों के लिए सोशल मीडिया: राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद का एक केस स्टडी

 

आज के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है जो विभिन्न क्षेत्रों में संचार, नेटवर्किंग और आउटरीच के लिए उपयोग किया जा रहा है। कृषि संस्थानों के लिए, विशेष रूप से उन पर ध्यान केंद्रित करने वाले संस्थानों के लिए जो शिक्षा, शोध और विस्तार सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे कि राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) हैदराबाद, सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग जानकारी साझा करने, ज्ञान वितरित करने और दर्षकों को संलग्न करने के तरीके में क्रांति ला सकता है। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग पर कहा है कि, 'सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग हमें एक नई दिशा की ओर ले जा सकता है। यह विचारों का आदान-प्रदान कर हमें समृद्ध बनाता है और सामाजिक बदलाव में हमारी भूमिका को सशक्त करता है।'






कृषि में सोशल मीडिया की भूमिका

कृषि संस्थान किसानों, कृषि पेशेवरों, नीति निर्धारकों और ग्रामीण समुदाय के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये नवीनतम कृषि रुझानों, शोध निष्कर्षों, नवाचारों और नीतिगत विकासों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। पारंपरिक रूप से, यह जानकारी सेमिनार, प्रिंटेड प्रकाशनों और प्रत्यक्ष सम्भाषणों के माध्यम से साझा की जाती थी। मगर अब, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जे जरिये, कृषि संस्थान अब तेज़ी से और अधिक कुशलता से एक व्यापक दर्शकों तक पहुँच सकते हैं। सोशल मीडिया कृषि संस्थानों को अपनी दृश्यता बढ़ाने, विविध दर्षकों के साथ संलग्न होने और एक व्यावहारिक समुदाय बनाने का एक अवसर प्रदान करता है जहाँ वास्तविक समय में ज्ञान का आदान-प्रदान संभव हो जाता है। छोटे पैमाने के किसानों से लेकर कृषि अनुसंधानकर्ताओं और नीति निर्माताओं तक, सोशल मीडिया की पहुँच लगभग अनंत है, जो वैश्विक कृषि विकास को एक नई ऊँचाई पर ले जाने की क्षमता रखता है।

कृषि संस्थानों को सोशल मीडिया की आवश्यकता क्यों है

विस्तृत पहुंच और स्वीकार्यता : फेसबुक, एक्स (ट्विटर), इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से संस्थान न्यूनतम लागत के साथ एक अधिकाधिक दर्शकों तक पहुँच सकते हैं, जिन्हें औपचारिक शिक्षा या प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक सीधी पहुँच नहीं होती है। उदाहरण के लिए, आधुनिक सिंचाई तकनीकों या कृषि प्रथाओं पर एक छोटा वीडियो या ड्रोन का उपयोग करके फसल की निगरानी और कीटनाशक छिड़काव का प्रदर्शन हजारों किसानों, विस्तार अधिकारियों और कृषि शोधकर्ताओं तक पहुँच सकता है। इससे उन्हें समय पर जानकारी प्राप्त होती है और वे अपने कृषि कार्य में सुधार कर सकते हैंI

संवादमूलक संचार: पारंपरिक मीडिया की तुलना में, सोशल मीडिया एक द्वि-तरफ़ा संचार उपकरण है। कृषि संस्थान अपने दर्शकों के साथ टिप्पणियों, फीडबैक, लाइव प्रश्न-उत्तर सत्रों या मतदान के माध्यम से संलग्न हो सकते हैं। यह सीधा इंटरैक्शन संस्थानों को किसानों और कृषि हितधारकों की जरूरतों और चिंताओं को बेहतर समझने में मदद करता है और उन्हें इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अपनी सामग्री को अनुकूलित करने की अनुमति देता है।

 

वास्तविक समय में अद्यतन और जानकारी वितरण: कृषि संस्थान अक्सर समय-संवेदनशील जानकारी से निपटते हैं, जैसे मौसम पूर्वानुमान, कीट प्रकोप, या नीति परिवर्तन, फसल की सिंचाई की आवश्यकताएँ, फसल कटाई का समय, रोगों का प्रकोप, बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और कृषि कार्यक्रमों की जानकारी भी तत्काल रूप से साझा की जाती है। इस प्रकार, अगर  किसानों को आवश्यक जानकारी मिलती है तो वे  त्वरित निर्णय ले सकते हैं और अपने उत्पादन में सुधार कर सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ऐसी जानकारी के त्वरित प्रसार की अनुमति देते हैं। किसानो की  जिनकी गतिविधियाँ समय-सीमा और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं, वे किसानो के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है,

 

ज्ञान साझा करना और क्षमता निर्माण: सोशल मीडिया शोध निष्कर्षों, सर्वोत्तम प्रथाओं और सफलता की कहानियों को साझा करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में कार्य करता है। कृषि संस्थान, लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करके शोध पत्र, केस स्टडी और लेख प्रकाशित कर सकते हैं, जबकि यूट्यूब का उपयोग निर्देशात्मक वीडियो के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर किसान और विशेषज्ञ अपनी सफलताओं और चुनौतियों को साझा कर सकते हैं, जिससे एक सहयोगात्मक वातावरण बनता है। यह न केवल ज्ञान साझा करने को बढ़ाता है, बल्कि कृषि में शामिल व्यक्तियों और समुदायों की क्षमता भी बढ़ाता है। इस प्रक्रिया में, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, वेबिनार और ऑनलाइन चर्चा सत्रों के माध्यम से कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलता है, जिससे किसानों को नवीनतम तकनीकों और प्रथाओं के बारे में जागरूकता होती है।

कृषि संस्थानों के लिए प्रभावी सोशल मीडिया रणनीतियाँ

कृषि संस्थानों जो शिक्षा, शोध और विस्तार सेवाएँ प्रदान करते हैं वे सोशल मीडिया का सम्पूर्ण लाभ उठाने के लिए एक अच्छी योजना बना सकते है, और एक परिणामकारक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाकर अपनी जानकारिया अधिकाधिक स्रोताओंतक साझा कर सकते है। नीचे कुछ रणनीतियाँ दी गई हैं जिन्हें लागू किया जा सकता है:

 

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म चयन: सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक ही उद्देश्यवाले दर्शक के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। इसलिए, कृषि संस्थानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने लक्षित दर्शकों और साझा की जाने वाली सामग्री के प्रकार को ध्यान में रखते हुए सही प्लेटफ़ॉर्म का चयन करें। उदाहरण के लिए:

फेसबुक: अद्यतन साझा करने, सफलता की कहानियाँ और दृश्य सामग्री जैसे चित्रों और वीडियो साझा करने के लिए यह एक अच्छा प्लेटफ़ॉर्म है।

एक्स (ट्विटर): त्वरित अद्यतन, वास्तविक समय की जानकारी साझा करने और नीति निर्माताओं, कृषि विशेषज्ञों और मीडिया के साथ संलग्न होने के लिए अच्छा प्लेटफ़ॉर्म है।

यूट्यूब: लंबे वीडियो बनाने के लिए सबसे अच्छा प्लेटफ़ॉर्म है, जैसे ट्यूटोरियल, वेबिनार और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन ।

लिंक्डइन: पेशेवर नेटवर्किंग के लिए उपयुक्त, शोध पत्र, नीति ब्रीफ और लेख साझा करने के लिए जो शैक्षणिक या नीति-निर्माण दर्शकों के लिए प्लेटफ़ॉर्म है

 

सामग्री निर्माण और संग्रहण: उच्च गुणवत्ता, प्रासंगिक और आकर्षक सामग्री निर्माण सोशल मीडिया सफलता की कुंजी है। कृषि संस्थानों को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के लिए सामग्री बनाते समय निचे दिए गए मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए I 

 

शैक्षणिक: मूल्यवान ज्ञान प्रदान करना, जैसे कि "कोई खेती आधारित प्रक्रिया कैसे-करें" मार्गदर्शिकाएँ, कृषि टिप्स और विशेषज्ञों की जानकारी।

 

समय पर: वर्तमान कृषि रुझानों, मौसमी कृषि प्रथाओं और नए शोध निष्कर्षों के बारे में समय पर पोस्ट करना।

 

दृश्य: सामग्री को अधिक आकर्षक और समझने में आसान बनाने के लिए इन्फोग्राफिक्स, फ़ोटो और वीडियो का उपयोग करना, ताकि कम साक्षरता वाले किसानों समेत व्यापक दर्शकों को लाभ मिल सके।

 

संवादात्मक: कृषि क्रिया पर मतदान आधारित परीक्षण, प्रतियोगिताएँ, लाइव स्ट्रीमिंग या प्रश्न -उत्तर सत्र के माध्यम से दर्शकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।

 

पोस्टिंग में निरंतरता: निरंतरता दर्शकों की भागीदारी बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कृषि संस्थानों को प्रासंगिक विषयों पर नियमित रूप से पोस्ट करने के लिए एक सामग्री कैलेंडर बनाना चाहिए। यह दर्शकों के साथ विश्वास स्थापित करने और उन्हें लगातार सूचित रखने में मदद करता है।

 

प्रभावितों और विशेषज्ञों के साथ सहयोग: कृषि में प्रभावशाली व्यक्ति और विशेषज्ञ, जैसे सफल किसान, कृषि वैज्ञानिक और नीति निर्धारक, कृषि संस्थानों के संदेश को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उदाहरण के लिए, मैनेज हैदराबाद ऐसे व्यक्तियों के साथ सहयोग कर सकता है जो अतिथि पोस्ट लिख सकें, लाइव सत्र आयोजित कर सकें, या चर्चाओं में भाग ले सकें। यह सहयोग ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ाता है और संस्थान की पहुंच को व्यापक बनाता है।

 

आकर्षक दृश्य और मल्टीमीडिया सामग्री: कृषि समुदाय को दृश्य अध्ययन से काफी लाभ होता है। उच्च गुणवत्ता वाली छवियों, चरण-दर-चरण निर्देशात्मक वीडियो और डेटा से भरे इन्फोग्राफिक्स को शामिल करके, संस्थान जटिल कृषि जानकारी को अपने दर्शकों के लिए सुलभ बना सकते हैं। नई खेती की तकनीक का प्रदर्शन करने वाला एक छोटा वीडियो या सफल केस स्टडी का एक श्रृंखला छवियों का एक स्थायी प्रभाव दिख सकता है।

 

किसान जुड़ाव के लिए स्थानीयकृत सामग्री: कई किसान, विशेष रूप से भारत में, अंग्रेजी या हिंदी के प्रवाह में नहीं हो सकते हैं, यह उनके रहने के क्षेत्र पर निर्भर करता है। कृषि संस्थान स्थानीय भाषाओं में क्षेत्र-विशिष्ट सामग्री बनाने से, संस्थान की पहुँच और जुड़ाव को बढ़ा सकते हैं। भलेही भाषा की बाधाएँ हों पर संस्थान को सुनिश्चित करना होगा की महत्वपूर्ण जानकारी सभी दर्षकों के लिए सुलभ ही हो ।

मैट्रिक्स और फीडबैक का विश्लेषण करना: सोशल मीडिया मैट्रिक्स जैसे कि “पोस्ट इंगेजमेंट”, “फॉलोअर वृद्धि” और “क्लिक-थ्रू” दरों को ट्रैक करना संस्थानों को उनके अभियानों की प्रभावशीलता को मापने में मदत करता है। दर्शकों से मिलने वाला फीडबैक, टिप्पणियों या सीधे संदेशों के रूप में, दर्षकों की चिंताओं और आवश्यकताओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है, जिसका उपयोग भविष्य की सामग्री में सुधार के लिए किया जा सकता है।

 

 

 

 

मैनेज हैदराबाद की सोशल मीडिया अपनाने में भूमिका

भारत के प्रमुख कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थानों में से एक, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) हैदराबाद ने अपने कैंपस में होने वाले कार्यक्रमों के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। फेसबुक, एक्स (ट्विटर), इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, थ्रेड्स और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से, मैनेज अपने शोध निष्कर्षों, प्रशिक्षण सामग्रियों और विस्तार रणनीतियों को साझा करके किसानों, कृषि पेशेवरों और अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं सहित व्यापक दर्शकों के साथ जुड़ने में सफल रहा है। मैनेज प्रत्येक दिन अपने कैंपस में होने वाले सभी कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी इन सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साझा करता है। कार्यक्रमों के लिए पूर्व नोंदणी और भविष्य में होने वाले कार्यक्रमों में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, मैनेज आयोजन से पहले सभी जानकारी, नोंदणी लिंक और कार्यक्रम के पोस्टर भी इन प्लेटफार्मों साझा करता है। मैनेज में विभिन्न कृषि विषयों पर नियमित ऑनलाइन वेबिनार आयोजित होते हैं। इन वेबिनार के लिए पूर्व नोंदणी की जाती है, और देखने के लिए लिंक साझा की जाती है। कार्यक्रम के बाद, उनकी रिकॉर्डिंग भी किसानों और कृषि विशेषज्ञों के लिए उपलब्ध कराई जाती है। मैनेज के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर साझा की जाती है, जैसे:

कृषि विस्तार प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDAEM): एक साल का डिप्लोमा कार्यक्रम

इनपुट डीलरों के लिए कृषि विस्तार सेवाओं में डिप्लोमा (DAESI): एक साल का डिप्लोमा कार्यक्रम

कृषि व्यवसाय प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDM): दो साल का कार्यक्रम

सर्टिफाइड फार्म एडवाइजर/सर्टिफाइड लाइवस्टॉक एडवाइजर (CFA): एक कार्यक्रम

एग्रो वेयरहाउसिंग प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDAWM): एक कार्यक्रम

जय जवान किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम: पूर्व सैनिकों के लिए चार महीने का कार्यक्रम, जिसे कृषि उद्यमी बनाने के उद्देश्य से चलाया जाता हैवर्चुअल प्लेटफार्मों का उपयोग

कृषि के मूलभूत अंग जैसे कि कृषि के मूल सिद्धांत, कृषि विस्तार, डिजिटल कृषि, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि विपणन, समेकित कीट और रोग प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, पुष्पकृषि, बागवानी, कृषि के लिए वीडियो निर्माण तकनीक, आय टी ई सी अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम, क्षमता विकास कार्यक्रम आदि प्रकार के कार्यक्रम मैनेज में होते हैं। इन सभी की जानकारी मैनेज दैनिक रूप से सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा करता है।

कोरोना महामारी के कारन जब भौतिक कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण सत्र रद्द हो गए, तब मैनेज ने अपनी क्षमता निर्माण गतिविधियों को जारी रखने के लिए वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म में परिवर्तन किया। इन सत्रों के माध्यम से, संस्थान ने न केवल अपने नियमित दर्शकों तक पहुँच बनाई, बल्कि उन ग्रामीण किसानों तक भी पहुँचने में सफलता हासिल की, जो पहले उनके कार्यक्रमों में भाग नहीं ले पाते थे।

मैनेज हैदराबाद की सोशल मीडिया उपस्थिति अपने दर्शकों के साथ मजबूत जुड़ाव को दर्शाती है, विशेष रूप से इंस्टाग्राम, यूट्यूब, लिंक्डइन और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों पर। इन प्लेटफार्मों पर एक महत्वपूर्ण संख्या में अनुयायियों के साथ, मैनेज ने कृषि विस्तार क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित किया है। जुड़ाव के मेट्रिक्स इंगित करते हैं कि सामग्री दर्शकों के साथ अच्छी तरह से गूंजती है, विशेष रूप से उन पोस्टों के माध्यम से जो इंटरैक्शन को बढ़ावा देती हैं। जनसांख्यिकी विश्लेषण से पता चलता है कि दर्शक मुख्य रूप से 25-50 आयु वर्ग के युवा हैं, जिसमें एक पुरुष और स्त्रियों दोनों का योगदान है। पिछले 360 दिनों में मैनेज को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उल्लेखनीय प्रतिक्रिया मिली है। फेसबुक पर 2 लाख से अधिक व्यूज़ और 5 हजार से अधिक लाइक्स प्राप्त हुए हैं। इंस्टग्राम पर 1 लाख से अधिक व्यूज़ और 20 हजार से अधिक लाइक्स मिले हैं। लिंक्डइन पर भी 2 लाख से अधिक व्यूज़ और 30 हजार से अधिक लाइक्स प्राप्त हुए हैं। यूट्यूब पर हमारे 1700 से अधिक वीडियो उपलब्ध हैं, जिन्हें 1 लाख से अधिक लोगों ने देखा है।हर वर्ष, मैनेज अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से कृषि संबंधी जानकारी ५ हजार से अधिक पोस्ट द्वारा 8 लाख से अधिक लोगों तक पहुंचाता है। अब तक, मैनेज के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 70 हजार से अधिक लोगों ने फॉलो किया है। यह जानकारी मैनेज के लिए इस जनसांख्यिकी को ध्यान में रखते हुए अपनी सामग्री रणनीति को अनुकूलित करने का अवसर प्रस्तुत करती है, जिससे प्रासंगिकता और जुड़ाव बढ़ सकता है।यह दृष्टिकोण न केवल मैनेज को इस क्षेत्र में एक प्राधिकरण के रूप में स्थापित करता है, बल्कि कृषि नवाचारों और विशेषज्ञ अंतर्दृष्टियों में रुचि रखने वाले विविध दर्शकों को भी आकर्षित करता है।

 

चुनौतियाँ और अवसर

हालाँकि सोशल मीडिया कृषि संस्थानों के लिए कई अवसर प्रदान करता है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है। एक प्रमुख चुनौती डिजिटल साक्षरता है, विशेष रूप से ग्रामीण किसानों के बीच। हालांकि ग्रामीण भारत में मोबाइल फोन का उपयोग बहुत अधिक है, फिर भी कई किसानों के पास सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए आवश्यक कौशल की कमी है। अपने विस्तार सेवाओं के तहत डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण प्रदान करके कृषि संस्थान इस अंतर को पाटने में मदद कर सकते हैंI एक और चुनौती गलत जानकारी है। फेक न्यूज के बढ़ते प्रसार के साथ, यह आवश्यक है कि कृषि संस्थान सटीक और अनुसंधान-आधारित जानकारी साझा करके अपनी विश्वसनीयता बनाए रखें। संस्थानों को अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रूप से निगरानी करनी चाहिए ताकि किसी भी गलत सूचना को सही किया जा सके। कृषि संस्थानों के लिए तकनीकी कंपनियों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करने के लिए विशाल अवसर हैं, ताकि नवीन डिजिटल उपकरण विकसित किए जा सकें जो सोशल मीडिया आउटरीच को बढ़ा सकें। ये साझेदारियाँ मोबाइल ऐप, इस एम् एस आधारित सूचनाएँ, या सोशल मीडिया बॉट्स के विकास की ओर ले जा सकती हैं, जो किसानों को व्यक्तिगत कृषि सलाह प्रदान कर सकते हैं।

सोशल मीडिया मीडिया ने कृषि संस्थानों के अपने दर्षकों के साथ जुड़ने के तरीके को बदल दिया है। जैसे कि MANAGE हैदराबाद के लिए, सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग न केवल उनकी पहुँच का विस्तार कर सकता है, बल्कि सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने, ज्ञान साझा करने और ग्रामीण समुदायों का समर्थन करने में उनके प्रभाव को भी बढ़ा सकता है। सामग्री निर्माण, प्लेटफ़ॉर्म चयन और दर्शकों की भागीदारी के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाकर, कृषि संस्थान डिजिटल कृषि युग में अपने आप को सबसे ज्यादा  प्रभावशाली संस्थान के रूप में स्थापित कर सकते हैं।

 

-      Mr. Krushna Ramrao (Outreach Specialist, MANAGE)


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