भ्रस्टाचार का विरोध करे, राष्ट्र के प्रति समर्पित रहे

 


मुलत: भ्रस्टाचार की परिभाषा हम ऐसे कर सकते है की, किसी भी देश, प्रांत अथवा विभाग, जिल्हा, तालुका या गांव के लोगो द्वारा ऐसे कृत्य किये जाना जिससे वहा के परिसर की आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक, शैक्षेणिक, वैज्ञानिक, जैविक तथा अजैविक हानि हो I  साधारणता हमें भ्रस्टाचार यह शब्द दैनंदिन रूप से पैसा तथा आर्थिक संसाधनों से सबंधित सुनने को मिलता है I परन्तु भ्रस्टाचार केवल आर्थिक रूप से होकर कही प्रकार का हो सकता है I उदारहण के तौर पर किसी कर्मचारीने ने निर्धारित समय परअपना कार्य पूरा करना , हेतुपूर्वक कार्य विलम्बित करते रहना, अध्यापक लोगोंद्वारा सही समय पर सही ज्ञान छात्रों को दिया जाना ये सब भ्रस्टचार के रूप है I जब कोई व्यक्ति न्यायव्यवस्था के नियमों के विरुद्ध जाकर आपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है उस व्यक्ति को हम भ्रस्टाचारी कह सकते है I

हम निम्नलिखित प्रकार से भ्रस्टाचार का विभाजन कर सकते है I घूस (रिश्वत), चुनाव में धांधली, पक्षपात, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा लेना, डरा धमका के धन येटना, अपने अधिकारो का दुरुपयोग करना, टैक्स चोरी करना, झूठी गवाही देना, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय देना,  पैसे लेकर वोट देना देना, वोट के लिए पैसा और शराब आदि बांटना इत्यादिI अब हमे यह सोचना चाहिए की भ्रस्टाचार होने के मुल कारण क्या क्या है? मेरे अनुसार भ्रष्टाचार के कई कारण हो सकते हैं: जैसे की लोगो में असंतोष की भावना, स्वार्थ, कही प्रकार की असमानता, लोगो में हीनता और ईर्ष्या की भावना, लोगोसे अत्यधिक नियम का पालन करवाना , जटिल कर और लाइसेंस प्रणाली, अपारदर्शी नौकरशाही, विवेकाधीन शक्तियों वाले कई सरकारी विभाग, कुछ वस्तुओं और सेवाओं के वितरण पर सरकार द्वारा नियंत्रित संस्थानों का एकाधिकार, पारदर्शी कानूनों और प्रक्रियाओं की कमी इत्यादि I सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार, राजनैतिक भ्रष्टाचार, पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार, न्यायिक भ्रष्टाचार, शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार, श्रमिक संघों का भ्रष्टाचार, धर्म में भ्रष्टाचार, उद्योग जगत का भ्रष्टाचार इस प्रकार के भ्रस्टाचार के बारे हम आपने दैनंदिन जीवन में हम सुनते रहते है I मेरा हमेशा से यह मानना रहा है की, भ्रष्टाचार की शुरुआत किसी निजी लाभ के लिए सार्वजनिक पद का उपयोग करने की प्रवृत्ति से होती है और अब यह हमारे देश में इतनी गहराई तक व्याप्त है कि भ्रष्टाचार को अब एक सामाजिक मानदंड माना जाता हैI

अब प्रश्न यह उपस्थित उपस्थित होता है की, भ्रस्टाचार को कम करना किसकी जिम्मेदारी है I  कई लोगोंद्वारा यह बताया जाता है की भ्रस्टाचार कम करना यह सरकार की जिम्मेदारी है I मगर मुझे यह लगता है कि भ्रस्टाचार कम करणा संपूर्णतः नागरिको की जिम्मेदारी है I कोई भी व्यवस्था चाहे बेइमान हो या इमानदार अगर उस देश के नागरिक सतर्क है, जागरूक है तो भ्रस्टाचार कम हो सकता है I हर नागरिक ने अपने स्वयं के कर्तव्य प्रामाणिकता तथा पुरी लगन से इमानदारीपूर्वक किये तो सह्जता से भ्रस्टाचार कम हो सकता हैI अगर हमें अपना राष्ट्र सुजलाम सुफलाम, आरोग्यदायी, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से परिवर्तनकारी रखना है तो भ्रस्टाचार को मुल से उखडणा होगा I हम किसी भी प्रकार के भ्रस्टाचार को न करे, न किसको करणे दे और न किसी भ्रस्टाचारी व्यक्ती का समर्थन करे तभी हम सही रूप से राष्ट्र के प्रति समर्पित हो सकते है I - कृष्णा दाभोलकर 

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